आत्मकथा और जीवनी में अंतर//aatmkatha aur jivani mein antar
नमस्कार दोस्तों आज की इस लेख में हम आपको बताएंगे की आत्मकथा किसे कहते हैं जीवनी किसे कहते हैं? और इन के बीच क्या अंतर होते हैं? तो इन सब के बारे में जानकारी आप लोगों को इस लेख के माध्यम से दी जाएगी तो आप लोग इस लेख के अंत तक जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और साथ ही आप लोग कमेंट करें कि आप लोगों को लेट कैसा लगा।
आत्मकथा और जीवनी में अंतर//aatmkatha aur jivani mein anta |
जीवनी और आत्मकथा में अंतर
जीवनी किसे कहते हैं?
आत्मकथा किसे कहते हैं?
आत्मकथा की परिभाषा और जीवनी की परिभाषा
जीवनी और आत्मकथा में तीन अंतर
आत्मकथा और जीवनी दोनों ही साहित्य की नई विधाएं हैं दोनों ही व्यक्ति विशेष के जीवन की विविध घटनाओं एवं प्रसंगों के वर्णन की विधा है। आत्मकथा व्यक्ति के द्वारा स्वयं के जीवन के संदर्भ में लिखी गई कथा होती है जबकि व्यक्ति विशेष के जीवन पर जब कोई दूसरा व्यक्ति लिखता है तो उसे जीवनी कहते हैं। आत्मकथा और जीवनी में यही मूल अंतर है परंतु इसी अंतर के कारण और अनेक अंतर सामने आ जाते हैं।
जीवनी जहां किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा लिखी जाती है वहां आत्मकथा में लेखक स्वयं अपनी जीवनी प्रस्तुत करता है। आत्मकथा में लेखक निजी जीवन से जुड़ी गहराइयों से जुड़ा होता है परंतु जीवनी में लेखक चरित नायक के जीवन से शायद इतनी गहराई से नहीं जुड़ पाता है। आत्मकथा जीवनी की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होता है। आत्मकथा में लेखक अपना जीवन व्रत स्वयं प्रस्तुत करता है। और लेखक जितना स्वयं अपने बारे में जानता है उतना कोई दूसरा नहीं जानता। इसके विपरीत जब जीवनी लेखक किसी के बारे में कोई बात कहता है तो यह आशंका बनी रहती है कि शायद कुछ बात गोपनीय रह गई है सत्य का कुछ अंश ढका रह गया है।
आत्मकथा अपनी जीवनी अपने जीवन काल में ही लिखता है जबकि जीवनी का लेखन आवश्यक नहीं कि चरित नायक के जीवनकाल में ही हो। आत्मकथा कार्य के पास अपने जीवन संबंधित सारी जानकारी अपने दिमाग में ही रहती है वही जीवनी कार्य को यही सामग्री विभिन्न स्रोतों से इकट्टी करनी पड़ती है। यदि चरित्र नायक इतिहास पुरुष है तो जीवनी कार को उसके जीवन को लेकर व्यापक शोध करना पड़ता है।
जीवनी जहां वस्तुनिष्ठ होती है वहां आत्मकथा आत्मिक आत्म निष्ठ होती है। जीवनी में लेखक बाहर से भीतर की ओर प्रविष्ट होता है जब की आत्मकथा में लेखक अपने आंतरिक जीवन को बाहर लोगों के सामने प्रकट करता है। जीवनी में जहां बहुत सी बातें अनुमान आश्रित रहती है वहां आत्मकथा में सब कुछ सख्त पर आश्रित होता है स्वानुभव पर आधारित होता है।
कहा जा सकता है कि जीवनी ऐसी साहित्यिक विधा है जिसमें किसी व्यक्ति विशेष के जीवन की कथा किसी अन्य लेखक के द्वारा तटस्थ भाव से प्रस्तुत की गई कलात्मक रचना होती है। जबकि आत्मकथा स्वयं व्यक्ति के द्वारा अपने ही जीवन गाथा कि वह प्रस्तुति है जो पूर्णतया निष्कपटपूर्ण गुण दोषों पर प्रकाश डालते हुए बिना किसी कल्पना के कलात्मक ढंग से लिखी जाती है।