भारतीय संविधान पर निबंध//essay on Indian constitution in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप लोगों को बताएंगे संविधान पर निबंध हिंदी में सभी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का वह बुनियादी सांचा-ढांचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया गया। जबकि 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। भारतीय संविधान के निर्माण का श्रेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को दिया जाता है इसीलिए उन्हें भारतीय संविधान का पिता कहा गया है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसी कारण भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है। वर्तमान भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद 15 अनुसूचियां शामिल है जबकि भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 22 भाग एवं चार परिशिष्ट व 8 अनुसूचियां थी यह 2 साल 11 महीने 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था।
भारतीय संविधान पर निबंध//essay on Indian constitution in Hindi |
भारतीय संविधान पर निबंध
किसी भी देश का संविधान उसकी राजनीतिक व्यवस्था का बुनियादी ढांचा ढांचा निर्धारित करता है। जिसके अंतर्गत उसकी जनता शासित होती है भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया गया जबकि 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया संविधान को जिस तारीख को अंगीकार किया गया यानी 26 नवंबर उस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान के निर्माण डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को दिया जाता है इसीलिए उन्हें भारतीय संविधान का पिता कहा गया है।
29 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान के निर्माण के लिए प्रारूप समिति की स्थापना की गई और इसके अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जिम्मेदारी सौंपी गई। दुनिया भर के तमाम संविधान ओं को बारीकी से परखने के बाद डॉक्टर अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर लिया। 26 नवंबर 1949 को इसी भारतीय संविधान सभा के समक्ष लाया गया इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपना लिया।
सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है इसी कारण भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र कहा जाता है वर्तमान भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद 15 अनुसूचियां शामिल है जबकि भारत के मूल संविधान में 395 अनुच्छेद तथा 22 भाग एवं चार परिशिष्ट वह 8 अनुसूचियां थी 2 साल 11 माह 18 दिन में बनकर तैयार हुआ था।
भारतीय संविधान के स्रोत
संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार राज्य की कार्यपालिका के प्रमुख तथा सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में होने का प्रावधान न्यायिक पुनरावलोकन संविधान की सर्वोच्च का न्यायपालिका की स्वतंत्रता निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग उपराष्ट्रपति उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात।
ब्रिटेन
ब्रिटेन में संसदात्मक शासन प्रणाली एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया मंत्रियों के उत्तरदायित्व वाली संसदीय प्रणाली।
आयरलैंड
आयरलैंड से नीति निर्देशक सिद्धांत राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में साहित्य कला विज्ञान तथा समाज सेवा इतिहास के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोरंजन आपातकालीन उपलब्ध।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया सिर्फ स्थापना की भाषा समवर्ती सूची का प्रावधान केंद्र और राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन संसदीय विशेषाधिकार।
जर्मनी
जर्मनी से आपातकाल के प्रवर्तन के दौरान राष्ट्रपति को मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियां।
कनाडा
कनाडा से संघात्मक विशेषताएं अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास।
दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका से संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान।
रूस
रूस से मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान
जापान
जापान से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड से संविधान की सभी सामाजिक नीतियों के संदर्भ में निर्देशक तत्वों का उपबंध।
फ्रांस
फ्रांस में गणतंत्र की व्यवस्था अध्यादेश नियम विनियम आदेश संविधान विशेषज्ञ विचार न्याय निर्णय संविधिया।
भारतीय संविधान के स्रोत से हम भारत के लोग तथा भारत अधिनियम 1935 है 395 अनुच्छेदों में से लगभग 250 अनुच्छेद इसी से लिए गए हैं। उनमें कुछ परिवर्तन किया गया है। 1935 अधिनियम के प्रमुख प्रावधान संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की रक्षा उच्चतम न्यायालय का निम्न स्तर के न्यायालय पर नियंत्रण केंद्र सरकार राज्य के शासन में हस्तक्षेप व्यवस्थापिका के दो सदन।
भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषता
भारतीय संविधान की आधारभूत विशेषता उसकी उदारता समानता और भ्रातृत्व जैसे आदर्श एवं अनुपम गुण हैं यह संविधान जाति प्रथा धर्म आदि के भेदभाव को दृष्ट में ना रख कर समस्त भारतीय नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है। संविधान की देश में ना कोई बड़ा है और ना कोई छोटा ना कोई धनवान है और ना कोई धनहीन ना कोई उस स्कूल का है और ना कोई निम्न कुल का धार्मिक दृष्टि से संविधान अपने समस्त नागरिकों को समानता तथा पूर्ण स्वतंत्रता देता है प्रत्येक नागरिक अपनी इच्छा अनुसार धर्म स्वीकार कर सकता है और पूर्व स्वच्छंदता से धर्म अनुकूल आचरण कर सकता है।
भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है शिक्षा ग्रहण करने के संबंध में किसी के ऊपर कोई दबाव नहीं मनुष्य अपनी रूचि के अनुसार भाषाओं का अध्ययन करके ज्ञानार्जन कर सकता है अपनी अभिरुचि के अनुसार व्यवसाय चुन सकता है अपनी संपत्ति पर चाहे वह चल हो या अचल हो सभी को समान रुप में अधिकार है देश का संपूर्ण पर्वत देशवासियों के हाथों में सुरक्षित है वह अपने भाग का स्वयं निर्णय करते हैं संविधान 21 वर्ष की आयु वाले सभी स्त्री पुरुषों को मतदान का अधिकार देता है इस प्रकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश का शासन सूत्र जनता के हाथों में ही है बाद में केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन करके मतदाता की न्यूनतम आयु 21 वर्ष घटाकर 18 वर्ष कर दी।
संविधान की दृष्टि में ना कोई छूत है और ना कोई अछूत। किसी भी व्यक्ति को अछूत नाम से पुकारने वाला व्यक्ति वैधानिक रूप से दंड का भागी होता है। इसी प्रकार सांप्रदायिकता का भी संविधान अवैध घोषित करता है। सभी नागरिकों को अपने जीवन की सुरक्षा और सुख सुविधा का पूर्ण अधिकार है लेख आदि के द्वारा तथा भाषण एवं व्याख्या 9 द्वारा अपने मत प्रकाशन का पूर्ण स्वतंत्रता है परंतु सरकारी कर्मचारी को नहीं।
सरकार प्रत्येक व्यक्ति को आजीविका का सुलभ साधन प्रदान करेगी तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य की दृष्टि से अर्थव्यवस्था को मिलो में तथा कारखानों में भर्ती नहीं किया जाएगा संविधान में भारतीय राज्य व्यवस्था को तीन भागों में विभक्त किया है न्यायपालिका कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका। सरकार को न्यायपालिका शक्ति सर्वत्र स्वतंत्र है। उसके ऊपर ना कार्यपालिका अधिकार है। और ना व्यवस्थापिका का। वह संविधान के गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन करती है संविधान की व्याख्या और उसकी रक्षा का भार न्यायपालिका पर ही है।
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